Wednesday, August 17, 2011

झपट्टा मारेगी बिल्ली...

अन्ना..सरकार..और भ्रष्टाचार..सियासी दलों की नाकामी से निराश जनता को अन्ना में उम्मीद नज़र आ रही है..और यही उम्मीद उन लोगों को भी सड़कों पर खींच ला रही है, जो कभी पोलिंग बूथ तक भी जाना शायद ही पसंद करते हैं। लड़ाई लोकपाल को लेकर शुरू हुई थी, लेकिन वो मुद्दा कब का छोटा पड़ चुका..हालांकि देश में जगह-जगह दिख रहे विरोध प्रदर्शन को अभी से क्रांति कहना..कम-से-कम इतिहास जानने या समझने वालों के लिए मुश्किल है, लेकिन अपने-आप में ये आश्चर्यजनक ज़रूर है क्योंकि गैर सियासी जन आंदोलन की परंपरा इस देश में कम-से-कम राष्ट्रीय स्तर पर तो नहीं रही है। गांधी ने असहयोग..सविनय अवज्ञा और भारत छोड़ो जैसे गांधीवादी आंदोलनों में भी कांग्रेस का सहारा लिया तो जेपी ने भी संपूर्ण क्रांति में इंदिरा विरोधी सियासी ताकतों और शख्सियतों के साथ से सत्ता परिवर्तन कराया..लेकिन, अन्ना के साथ सियासी दल नहीं..अन्ना की ताकत वो जनता है, जो भ्रष्टतंत्र से त्रस्त है..जिसे आवाज़ उठाने का जरिया नज़र नहीं आ रहा..या फिर जो भ्रष्टाचार को रोजमर्रा की बात मानकर ज़िंदगी में शुमार करने पर मजबूर है...क्योंकि सरकार भी यही चाहती है..पहली बार सांसद बना एक व्यक्ति, जिसे देश की सबसे पुरानी और बड़ी पार्टी का प्रवक्ता बनाया गया, वो 74 साल के बुजुर्ग अन्ना को तुम और भ्रष्टाचारी करार देता है..और न पार्टी कुछ बोलती है, न उसी पार्टी की सरकार..तो क्या कहा जाए? संसद सबसे ऊपर है, संविधान से ऊपर कोई नहीं..सरकार की ये दलीलें सुन-सुनकर लोग आजिज आ चुके हैं..लालू जैसे नेता का बयान टीवी पर देख रहा था..भ्रष्टाचार के खिलाफ हम भी जंग लड़ रहे हैं..जेपी आंदोलन से निकले नेता हैं हम...कुछ वैसा ही बयान लगा जैसे मनमोहन बोलते हैं कि राजा के घोटाले की उऩ्हें खबर नहीं..खेल घोटाले का पता नहीं...कम कोई नहीं..शहीदों के ताबूत तक में घोटाले के घेरे में घिरी बीजेपी को अपने भ्रष्ट मुख्यमंत्री को हटाने में छक्के छूट गए..और कलमाडी के साथ मिलकर अरबों का खेल करने वाली शीला सब डकार कर भी कुर्सी पर बच गई..क्योंकि हिस्सा ऊपर तक ईमानदारी से पहुंचा दिया था..खैर..बात अन्ना की..जिन्हें गिरफ्तार तो पुलिस ने किया, लेकिन गिरफ्तार हो गई सरकार..एक अकेला आदमी, ईमानदारी और ठोस इरादों के बूते हर आंदोलन को कुचलने पर आमादा सरकार की हेकड़ी गुम कर रहा है...लेकिन, बिल्ली झपट्टा मारेगी...और देश का फर्ज है कि इस आदमी को अकेले नहीं पड़ने देना है...

Wednesday, June 8, 2011

पीपली लाइव पार्ट 2

लंबे वक्त के बाद आपसे मुखातिब हो रहा हूं..बिना बताए गुम होने के लिए क्षमा याचना के साथ..बाबा, अन्ना, आंदोलन, सरकार और सियासत..ये वो मुद्दे हैं, जो इन दिनों महंगाई, भ्रष्टाचार, काले धन, यूपी में चुनाव, 2जी घोटाला सब पर भारी पड़ते दिख रहे हैं। मीडिया खुश है, हर रोज नया मसाला सुबह-सुबह हरिद्वार योग शिविर से हाथ लग रहा है और फिर पूरा दिन रिएक्शन बटोरते-बटोरते निकल रहा है। लोग हैरान-परेशान हैं कि आखिर हो क्या रहा है? बाबा के शिविर में रामलीला मैदान में मौजूद एक साथी ने बताया कि अगर बाबा मंच पर ही डटे रहते तो गिरफ्तारी से वो वाहवाही मिलती कि सरकार की किरकिरी हो जाती, लेकिन भागने की कोशिश..जान बचाने के लिए महिला का सलवार-सूट पहनने का ड्रामा और वो भी इस ऐलान के बाद कि मुझे मौत से डर नहीं..किसी को पचा नहीं...ना ही किसी को ये पच रहा कि आखिर सरकार को किस बात का इतना डर था कि आधी रात को ही रामलीला मैदान में धावा बोल दिया..वो भी तब, जब रात 11 बजे मांगें मान लेने की चिट्ठी भेज दी गई थी, जिसपर सुबह बाबा की ओर से जवाब देने का भरोसा भी मिल चुका था। सरकार, पुलिस का दावा है कि मंजूरी अनशन की नहीं थी, योग शिविर की थी..तो क्या इन सबकी आंखें देश के कोने-कोने में लगे उन पोस्टरों को नहीं देख पाईं, जिनमें साफ तौर पर भारत स्वाभिमान की ओर से भ्रष्टाचार और कालेधन के मुद्दे पर रामलीला मैदान में जुटने की अपील की गई थी? अचानक आधी रात को इसका ख्याल आया कि अरे..इसकी तो मंजूरी ही नहीं? कानून-व्यवस्था बिगड़ने का ख्याल तब नहीं आया, जब गुर्जर और जाट आंदोलनों में दो-दो हफ्ते तक रेल ट्रैक जाम रहे..रेलवे को करोड़ों का नुकसान हुआ..देश के करोड़ों मुसाफिर हलकान रहे? अब अन्ना दूसरी आज़ादी की लड़ाई का आह्वान कर रहे हैं..सरकार बिना अन्ना और उनके नुमाइंदों के लोकपाल बिल की बात कर रही है..सबकुछ के कर्ता-धर्ता प्रधानमंत्री अभी भी बाबा से लेकर अन्ना तक की नज़र में पाक साफ बने हुए हैं...वैसे ही, जैसे उन्हें सीवीसी थॉमस के बारे में कुछ नहीं पता था..ए राजा के टू जी घोटाले के बारे में कुछ नहीं पता था और कलमाडी-जयपाल-शीला-गिल के खेल घोटाले के बारे में कुछ पता नहीं था..जब पीएम को ही कुछ नहीं पता तो बाकी नेताओं के क्या कहने? दिग्विजय सिंह को कांग्रेस ने संघ मामलों के प्रवक्ता का अघोषित पद जबसे दिया है, छुट्टे सांड की तरह बयानबाज़ी में पिले पड़े हैं तो अपनी सियासी गलतियों से मिट्टी पलीद करा चुकी बीजेपी बाबा नाम केवलम के सहारे सुर्खियां बटोरने की जुगत में जुटी है...सरकार के मुखौटे में भ्रष्टाचार चला रहे लोग बाबा-अन्ना को बीजेपी का मुखौटा बता रहे हैं..तो कोई हाथ में जूता लेकर जूता खाने में लगा है...इन सबके पीछे कैमरे और पत्रकार पीपली लाइव की तरह दौड़ते फिर रहे हैं...बाबा बैठ गए...बाबा सो गए..अन्ना बैठ गए..अन्ना बोल रहे हैं..सिब्बल आ गए..जनार्दन शुरू हो गए..देखते चलिए..कबतक चलता है ये पीपली लाइव...शायद पता चल जाए कि नत्था...माफ कीजिएगा भ्रष्टाचार कब मरेगा?
परम