Sunday, January 18, 2009

ये कबतक अंडा देगा?

ना निगलते बने, ना उगलते बने..कुछ यही हो रहा है कसाब को कस्टडी में रखने वाली मुंबई पुलिस के साथ। कसाब के लिए जो खाना आता है, वो उससे पहले किसी पुलिसवाले को खाकर देखना पड़ता है कि इसमें कहीं ज़हर तो नहीं.. उसके लिए जेल में अदालत लगाई जा रही है ताकि बाहर ले जाते या आते वक्त कहीं कोई हमला न हो जाए...लेकिन, खतरा जेल के बाहर तक ही सीमित नहीं है। जेल के अंदर भी कसाब को कोई ठिकाने लगा सकता है...मुमकिन है दाउद के गुर्गे, जो पहले ही से जेल में बंद हैं, मुमकिन है कसाब की कहानी सुनवाई और मुकदमेबाज़ी से पहले ही ख़त्म कर दें। कसाब इस वक्त बेहद कीमती है, क्योंकि उसकी सलामती पर काफी हद तक टिका है मुंबई हमलों के गुनहगारों के चेहरे से मुखौटा हटाने का दारोमदार। कसाब से भारतीय एजेंसियों के साथ-साथ अमेरिकी एजेंसी भी पूछताछ कर रही है क्योंकि इस जीते-जागते सबूत को नकारना पाकिस्तान के लिए मुमकिन नहीं है। ज़ाहिर है ऐसे में मुंबई हमले के इस इकलौते ज़िंदा सबूत को सहेजकर रखना ही होगा। तभी तो इसे आर्थर रोड जेल की अंडा सेल में रखा जाना है। लेकिन, सबकुछ जल्दी निपटाना होगा क्योंकि हमने कहीं पढ़ा है कि इतिहास खुद को दोहराता है और कहीं वो बदनुमा इतिहास न दोहरा जाए, जिसमें किसी मंत्री की बेटी या फिर यात्री समेत बंधक बने विमान की फिरौती के बदले हम खुद कसाब को आतंकियों के ही हवाले कर आएं। ठीक है और लाजिमी भी है कि फिलहाल वक्त का तकाजा है, कानूनों की बाध्यता है और कूटनीतिक ज़रूरत भी है कि कसाब को बचाकर रखा जाए...उस आतंकी को वीवीआईपी मेहमान की तरह सुरक्षा दी जाए, जिसने साथियों के साथ मिलकर 183 लोगों को मार डाला। लेकिन, ये ध्यान भी रखना होगा कि कहीं कसाब अनंतकाल तक अंडा सेल में अंडा ही न देता रह जाए। संसद हमले के दोषी अफजल का मामला तो आपको याद है ना...
आपका
परम

3 comments:

राज भाटिय़ा said...

बात तो आप ने सॊ टके की सही कही है, लेकिन हमारे इन नेताओ मे ही कॊई गद्दर ना निकले,क्योकि किसी ने भी आज तक उस नेता से नही पूछा कि भाई तुम ताज मे उस समय केसे घुस गये ओर उस विदेशी को सही सलामत बहर ले आये, क्या यह अतांकवादी तुम्हारे जमाई थे, या तुम गद्दर हो ... ??
धन्यवाद

hem pandey said...

कमजोर इच्छाशक्ति और वोटों के भिखारी हमारे हुक्मरानों के चलते कुछ भी हो सकता है. आपके द्वारा इंगित या उससे मिलती जुलती घटनाओं की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता.

Udan Tashtari said...

ये सब नक्कारे कसाब की कहानी ही सुनते रहेंगे जब तक अगला हमला नहीं हो जाता.