Tuesday, January 27, 2009

युवा हुआ देश

साठ साल के युवा गणतंत्र को पूरे देश ने सलाम किया...युवा इसलिए कि अभी देश के नागरिकों की औसत उम्र एक भरपूर युवा की उम्र है यानी 25 से 26 साल के बीच.... और आने वाले चार दशक गुजरते-गुजरते देश और जवान हो जाएगा। इसे हम भले ही अभी तवज्जो नहीं दे रहे, लेकिन दुनिया को इसका पूरा अहसास है। तभी तो दुनिया भारत में भविष्य का नेता होने की संभावना तलाश रही है। आपको याद दिला दें कि यही वो औसत उम्र है, जिसके रहते अमेरिका ने बिल क्लिंटन के शासन में सबसे ज़्यादा आर्थिक तरक्की की थी। इस देश की राजनीति में भले ही बुजुर्ग और अनुभवी नेताओं की तूती बोल रही है मसलन मौजूदा प्रधानमंत्री 76 साल के हैं और अगर पीएम इन वेटिंग यानी आडवाणी जी की हसरत पूरी हुई तो वो तबतक 82 साल के होंगे। लेकिन, इन नेताओं के विकास के दावों का आधार युवा भारत ही है। वो भारत जो महामंदी के बीच भी चट्टान की तरह खड़ा है। यहां अगर कोई बड़ी कंपनी, मसलन सत्यम डूब भी रही है तो मंदी के चलते नहीं, बल्कि घोटाले की वजह से...हां, कमजोर बुनियाद वाली कंपनियां भले ही दम तोड़ रही हैं। युवाओं में समाज को बदलने का माद्दा है, युवाओं में सौ फीसदी श्रमदान की क्षमता है। सो इस गणतंत्र दिवस पर राजपथ पर दिखा जवानों का शौर्य देखकर निश्चिंत हो जाएं..हमारे कदम कभी थमने वाले नहीं।
आपका
परम

3 comments:

शंभुनाथ said...

परम् जी बिल्कुल ठीक कहा आपने।
कहीं व्यंग्य लगा तो कहीं हक़ीक़त लगा आपका आज का लेख।
दोनों ही दिशाओं में अच्छा है.....
आपका
शंभु नाथ

sabkiawaz said...

बिल्कुल सही! आज युवाओं के दम पर भारत दुनिया में इतना आगे आया है। युवाओं की वजह से हमारी इकोनॉमी इतनी मजबूत है। दूसरी तरफ जापान और इटली जैसे देश बुजुर्ग आबादी की वजह से पिछड़ रहे हैं।
जवानी जिंदाबाद !

-हिमांशु

sabkiawaz said...

परमजी देश युवा है लेकिन अपनी संसद युवा नहीं है। संसद की जो युवा धडकने हैं उनमें से भी कमोबेश सारे ही जमे जमाए नेताओं की अगली पीढ़ी की नुमाइंदगी करते हैं। जनता के वोट से चुने गए नेता सत्ता की सियासत को घर की चेरी ही समझते हैं तभी प्रकाश सिंह बादल मुख्यमंत्री होते हैं और उनके साहबजादे सुखबीर उपमुख्यमंत्री। सत्ता की मलाई घर से बाहर जाने का कोई चांस ही नहीं। राहुल गांधी को वंशवाद का नाम लेकर कोसने वाले आज खुद ही अपने बरखुदारो को आगे करने का कोई मौका नहीं गंवाते। 60 साल के गणतंत्र में 15वीं लोकसभा में तस्वीर कुछ बदले, उम्मीद कम ही है। वैसे उम्मीद पर दुनिया कायम है। जय हो..जय हो।
-खुशदीप