Monday, February 2, 2009

आसमां पर उड़ने वाले...

एक मशहूर गाना है...आसमां पर उड़ने वाले धरती में मिल जाएंगे। कितने सटीक शब्द हैं इस गाने के...काश कि ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेट टीम के खिलाड़ियों को इतनी हिंदी आती कि वो इसका अर्थ समझ पाते (वैसे थोड़ी-बहुत आती भी है तभी तो हरभजन की गाली को समझकर बवाल खड़ा कर दिया था) । कौन भुला सकता है इस टीम की बदतमीजियों को...जब रिकी पॉंटिंग ने बुजुर्ग नेता, केंद्रीय मंत्री और दुनिया के सबसे अमीर और रसूखदार क्रिकेट बोर्ड के अध्यक्ष को महज ग्रुप फोटो खिंचाने के लिए मंच से धकिया दिया था। कौन भुला सकता है जब इस टीम के खिलाड़ी दूसरी टीमों के खिलाड़ियों को मैदान पर उकसा-उकसा कर तनाव में लाते थे और फिर उसके आउट होने पर जश्न मनाते थे। लेकिन, अब देखिए क्या हो रहा है हाल? पहले भारत आए तो पिट कर गए और अब अपने ही घर में एक के बाद एक हार मिलती जा रही है। न्यूज़ीलैंड ने रविवार को जिस तरह से पर्थ वन डे में कंगारुओं को पस्त किया, उसके बाद तो उनकी सिट्टी-पिट्टी गुम है। कप्तान पोंटिंग भी दो मैच में रेस्ट करने पर मजबूर हैं। वैसे बादशाहत तो पहले ही छिन गई थी, जब दक्षिण अफ्रीका ने पांच वन डे मैचों की सीरीज़ में चार-एक से हराकर मुकाबले को एकतरफा बना दिया था। सीरीज़ तो गई ही, नंबर वन की रैंकिंग की जिस गुमान में ये चूर थे, वो भी चकनाचूर हो गई। वापस लौटने का मौक़ा न्यूज़ीलैंड से सीरीज़ जीतने की है, लेकिन आगाज़ ही हार के साथ हुआ है। वैसे इसमें कोई शक नहीं कि ऑस्ट्रेलियाई टीम में पासा पलटने का पूरा माद्दा है और उसके कई खिलाड़ी अपने बूते मैच का रुख पलट सकते हैं। लेकिन, इन हारों से उसे सबक ज़रूर लेनी चाहिए क्योंकि यही टीम पहले हार को पचा नहीं पाती थी। बल्ले और गेंद की जगह जुबानी जंग छेड़ दिया करती थी। और यही वजह है कि उसकी हर हार से क्रिकेट प्रेमियों के दिल को तसल्ली मिलती है। हां, एक चैंपियन की हार दुखद होती है, लेकिन ऑस्ट्रेलियाई हार दुखद नहीं लगती क्योंकि उन्होंने अपने व्यवहार से इस खेल की भावना को ही ठेस पहुंचाई है। वैसे ऑस्ट्रेलिया से इससे भी बड़ी खुशी की ख़बर ये आई कि सानिया मिर्जा और महेश भूपति की जोड़ी ने मिक्सड डबल्स का खिताब जीत लिया। सानिया को पहले ग्रैंड स्लैम पर बधाई..और बधाई यूकी भांबरी को भी, जिन्होंने पहली बार ऑस्ट्रेलियाई ओपन सिंगल्स का जूनियर वर्ग का खिताब जीता। तो दुनिया तैयार रहे...टेनिस में भी भारत टक्कर देने की स्थिति में आ गया है। जय हो...
आपका
परम

2 comments:

Vinay said...

शब्दों को जैसे पत्थर पे उकेरा है

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हिन्द-युग्म: आनन्द बक्षी पर विशेष लेख

राज भाटिय़ा said...

वेसे तो मुझे क्रिकेट से नफ़रत है,लेकिन जब भारत मे खेलो की बात आती है, ओर हमारे खिलाडी किसी भी खेल को इमानदरी से खेले, ओर सामने वाला हरानीपना करे तो मुझे अच्छा नही लगता, इस लिये मै आप के लेख को पढ कर बहुत खुश हुआ, जरुरी नही हम ही जीते, लेकिन इमानदारी जरुर होनी चाहिये, ओर इस टीम मै है दम.
धन्यवाद