Tuesday, August 11, 2009

ये बाबा...वो बाबा

साधु-संतों का हमारे देश में बड़ा मान है। जहां जाते हैं, लोग पांव छू-छूकर आशीर्वाद लेते हैं और उनकी वाणी सुनकर जीवन को धन्य समझते हैं। स्वाइन फ्लू की चपेट में धीरे-धीरे आ रहे अपने देश में भी जब बाबा रामदेव अचानक रामवाण के साथ टीवी न्यूज़ चैनलों पर अवतरित हुए तो उन्हें सुनने के लिए दर्शकों ने पूरा धैर्य बनाए रखा।चैनल बदल-बदल कर देखा और सुना। इसमें कोई हर्ज भी नहीं क्योंकि अगर कोई सुझाव मुफ्त में मिले तो उसे आजमाने में हर्ज ही क्या है। अगर गुलैठी और तुलसी जैसी सुलभ चीजों से इस बीमारी से बचा जा सकता है तो फिर क्यों आयातित टैमीफ्लू के चक्कर में देर करके जान गंवाई जाए। बाबा ने मुद्दा उठाया कि जो देश हैजा, चेचक, प्लेग जैसी महामारियों से पहले भी कई बार सामना कर चुका है, वो स्वाइन फ्लू को लेकर इस बार इतना दहशत में क्यों नज़र आ रहा है ? बेबसी नज़र आ रही है चारों ओर, बेबस नज़र आ रही है सरकार भी...पहले तो ढिलाई बरती और बाहर से बीमारी को एयरपोर्ट के रास्ते देश के कोने-कोने तक पहुंचा दिया और अब सांप निकलने के बाद लकीर पीट रही है। खैर, जो हुआ, सो हुआ...अब तो जो सामने है, उससे निपटना है, निपट ही रहे हैं वो तमाम लोग, जो महंगाई से अधमरे होने के बाद सूखे को लेकर औऱ मरे जा रहे हैं। और रही-सही जान स्वाइन फ्लू ना हो जाए, इस आशंका से निकली जा रही है। शायद बाबा की वाणी हम अधमरों, फिक्रमंद लोगों में कुछ नई जान फूंके, नई उम्मीद दिखाए...वैसे स्वाइन फ्लू, मंदी, महंगाई, सूखे से कुछ बाबा लोग निश्चिंत भी रहते हैं। नमूना दिखा, उड़ीसा में...नागपंचमी का दिन था। पुरी के साक्षीगोपाल मंदिर में शिल्पा शेट्टी और शमिता शेट्टी पहंची थी। सठियाये पुजारी बाबा को शिल्पा की सूरत में शायद मेनका, उर्वशी नज़र आई और उन्होंने शिल्पा के गाल पर चुंबन जड़ दिया। शिल्पा सकपकाई, सकपकाए वो तमाम लोग, जो वहां मौजूद थे। बाबा का ये सांसारिक 'छिछोरा' रूप किसी ने देखा नहीं था। अगर बाबा पहले भी दूसरे भक्तों, यहां तक कि बच्चों को भी इसी तरह आशीर्वाद में चुंबन देते तो बात और थी। लेकिन, उनकी हरकतें कुछ और बयां कर रही थीं। शायद यहां लिखना ठीक भी नहीं...वैसे media khabar.com पर हाल ही में टीवी पत्रकार देवेंद्र शर्मा जी ने इस बारे में विस्तार से लिखा भी था। मैंने पहली बार वहीं तस्वीर भी देखी थी। आपने नहीं देखी हो तो एक बार वो तस्वीर ज़रूर देखिए, बाबा के चेहरे से पूरी कहानी समझ जाएंगे।
अरसे बाद आपसे बात करने का मौका मिला है..उम्मीद है एक बार फिर से लगातार बात होती रहेगी...पहले की ही तरह..
आपका
परम

5 comments:

Unknown said...

bahut anand aaya..........
waah !

परमजीत सिहँ बाली said...

बढिया पोस्ट!!

Arshia Ali said...

Achchha lagaa aapke vichaaron ko jaanna.
{ Treasurer-S, T }

Anonymous said...

बढिया पोस्ट

Girijesh Mishra said...

भाई परमेंद्र जी,
अच्छा लगा कि लंबे समय बाद आप दोबारा ब्लॉगियाने लगे। मुए स्वाइन फ्लू के बारे में कई दिनों से दिमाग में एक सवाल उथल-पुथल मचाए हुए है कि आखिर 1918 से वजूद में आई बीमारी 91 साल बाद हौव्वा बनकर क्यों खड़ी हुई? हौव्वा बन ही गई, तो फिर हवा की स्पीड से अमेरिका ने स्वाइन फ्लू का टीका बना डाला..! कहीं ऐसा तो नहीं कि पहले टीका खोजा और फिर हौव्वा मचाना शुरू किया..। आखिर स्वाइन फ्लू की सबसे ज़्यादा मार तो अमेरिका पर ही पड़ी है..। सबसे ज़्यादा मौतें भी अमेरिका में ही हुई हैं इस नामुराद बीमारी से।
वो क्या है कि अमेरिका को धंधा करना खूब आता है। इसलिए शक होता है कि कहीं स्वाइन फ्लू भी मार्केटिंग का कोई फंडा तो नहीं? अब देखिए ना, कैसे पूरा हिंदुस्तान अखबारों, खबरी चैनलों और नेताओं-डॉक्टरों के जरिए पूरे देश को रट गया कि स्वाइन फ्लू से सिर्फ टैमीफ्लू ही बचा सकती है..। टैमीफ्लू यानी स्वाइन फ्लू की दवाई। और एन-95 मास्क की तो पूछिए मत। जिसने कभी नाम नहीं सुना था, वो भी इस मास्क के दाम और नफा-नुकसान सब जान चुका है। इस मास्क की कालाबाज़ारी शुरू होने के बाद कुछ ज्ञानीजनों ने फ़रमाया कि धत्तेरे की..कितने फालतू लोग हैं, जो इतना भी नहीं समझते कि एन-95 मास्क सबके लिए नहीं है। ये तो सिर्फ स्वाइन फ्लू से संक्रमित मरीजों और उनका इलाज़ करने वाले डॉक्टरों के लिए है। बाकी लोगों के लिए तो साधारण थ्री लेयर वाला मास्क ही काफी है।
एक बात और दिमाग में खटक रही है। याद आता है कि कैसे 8-10 साल पहले हेपेटाइटिस-बी का हौव्वा खड़ा हुआ था। भाई लोगों ने हज़ार-डेढ़ हज़ार रुपये में इस बीमारी की टीका बेच डाला..। फिर कैंप लगाकर डेढ़ सौ रुपये में हेपेटाइटिस बी का टीका लगाने लगे। अब तो बच्चों के वैक्सीनेशन प्लान को छोड़ दें, तो किसी को याद भी नहीं होगा कि हेपेटाइटिस बी लाइलाज़ बीमारी है। मुझे डर स्वाइन फ्लू का नहीं, इस बात का है कि कहीं स्वाइन फ्लू भी किसी कंपनी की दवाई या वैक्सीन बेचने का बहाना ना निकले..।
गिरिजेश