जब उन्होंने देखा 'उसे' पहली बार,
सोचा, दिन में कैसे हुआ चांद का दीदार..
हो गया था उन्हें, पहली नज़र में प्यार,
जुटाई हिम्मत और कर दिया इज़हार..
वो भी थी नए अहसास से बेक़रार,
थोड़ी झिझक, थोड़ा शर्म और कर दिया इकरार..
रिश्ते में बदला प्यार तो ज़िंदगी ने पकड़ी रफ्तार,
घर में गूंजी किलकारी तो और बढ़ गया प्यार..
लेकिन, धीरे-धीरे, कब, कैसे..छोटी बातें बन गईं बड़ी दीवार,
ख्याल तब आया, जब बढ़ती ही गई तकरार..
पर, ये फलसफा कभी न भूलना यार,
कि उनमें ही होती है तकरार, जो करते हैं प्यार...
बस थोड़ा सा रखो सब्र और करो थोड़ा इंतज़ार,
ये साथ है हमेशा का..सो बरसेगी प्यार की फुहार..
सभी ब्लॉगर्स को वैलेंटाइन्स डे की बधाई...जिन्हें इस बार मायूसी मिली, उनके लिए better luck next time...आपका
परम
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2 comments:
sunder rachna.........
वेलेंटाइन डे पर आशा के अनुरूप ही प्यार पर कविता पढ़ने को मिली. आपने सच लिखा है -
उनमें ही होती है तकरार, जो करते हैं प्यार...
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