Friday, January 30, 2009

अब तो कह दो..

क्य़ा बात थी दिल में तेरे,
जो तुम ना कह सके..
क्या दर्द था दिल में तेरे,
जो तुम ना सह सके..

हालात की दरिया में,
बहता है ये जहान,
वो क्या हुआ कि संग इसके,
तुम ना बह सके..

मझधार में फंसे हो तुम,
हमको ये थी ख़बर..
तभी तो तेरे साथ था,
पर तुम थे बेख़बर..

मत भूल कि ये रात भी,
अब जाएगी गुज़र..
अब तो कह दो वो बात,
जो अब तक ना कह सके..

आपका
परम

7 comments:

Himanshu Pandey said...

सुन्दर कविता। धन्यवाद ।

अनिल कान्त said...

बहुत सुंदर रचना .....आपने बहुत खूब लिखा है

मझधार में फंसे हो तुम, हमको ये थी ख़बर.. तभी तो तेरे साथ था,....


अनिल कान्त
मेरी कलम - मेरी अभिव्यक्ति

mehek said...

marmik sundar bhav

इष्ट देव सांकृत्यायन said...

हर शेर क़ीमती है भाई

scocator said...

दिल तब टूटा था...
...दर्द अब हो रहा है
ब्लॉग पर लिख कर क्या होगा ?
दवा तो कब की गल चुकी है...

संगीता पुरी said...

सुंदर रचना है....

नीरज गोस्वामी said...

बहुत अच्छे भावपूर्ण शब्द....सुंदर रचना...
नीरज