जब भी लोग ये मानने और कहने लगते हैं कि सचिन चूक गए हैं, मास्टर अपने बल्ले से दे देता है ऐसा करारा जवाब कि सबकी चुप्पी बंध जाती है। ये कहना बिल्कुल सच है कि सचिन के बल्ले में पहले जैसी धार नहीं रही, लेकिन ये कहना भी बिल्कुल गलत कि वो अब चूक चुके हैं। न्यूज़ीलैंड में सचिन ने तीसरे वन डे में जिस तरह से सेंचुरी जमाई वो काबिलेतारीफ है। करियर के आखिरी दौर में न्यूज़ीलैंड की धरती पर पहला शतक...अब इसे इस खिलाड़ी की शुरुआत कहेंगे या अंत ? इससे पहले ऑस्ट्रेलिया की उछाल भरी पिचों पर भी सचिन ने लगातार दो शतक जमाकर इस मुगालते को हमेशा के लिए खत्म कर दिया था कि फाइनल में मास्टर का बल्ला नहीं चलता। सचिन ने अपनी ज़िंदगी में रिकॉर्ड के अंबार लगाए..यहां तक कि कई बार गेंदबाज़ी के ज़रिये भी इस क्लास बल्लेबाज़ ने टीम को जीत दिलाई। इन सबसे ऊपर सचिन अपनी नेकदिली के लिए भी मशहूर हैं। ना जाने कितनी बार इस खिलाड़ी को अंपायर के गलत फैसले का शिकार होना पड़ा, लेकिन कभी भी मैदान पर नाराज़गी जाहिर करते उन्हें नहीं देखा गया। अब सचिन की बस एक आस बाकी है, भारत के लिए वर्ल्ड कप जीतना और उनके जज्बे को देखते हुए यही कहा जा सकता है कि उनके लिए नामुमकिन कुछ भी नहीं...तो हम, आप और तमाम क्रिकेट प्रेमियों को भी चाहिए कि अगले दो साल इस खिलाड़ी को दबाव से मुक्त होकर खेलने दिया जाए...देश के लिए बहुत खेल चुके, अब अपने लिए, अपने हिसाब से भी तो खेलने दें...जिसने क्रिकेट के जरिये देश को इतना सम्मान दिलाया, क्या हम उसे उसकी इच्छा के हिसाब से क्रिकेट को अलविदा कहने का मौका भी नहीं देंगे...
आपका
परम
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1 comment:
एक इकलोता भारतीया हुं जिसे इस क्रिकेट मै कोई रुचि नही... फ़िर क्या टिपण्णी दुं
धन्यवाद
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