Thursday, December 4, 2008

शुक्रिया...

जिस तरह से शुरुआत करते ही आप सबकी शुभकामनाएं मिल रही हैं, निश्चित तौर पर हम एक बेहतर अंज़ाम की ओर जाएंगे। साथ ही एक बहस की भी शुरुआत हो गई है। मुंबई हमले के बाद उमड़ी भीड़ को वरिष्ठ पत्रकार अतुल सिन्हा जी ने तात्कालिक प्रतिक्रिया बताकर जनांदोलन मानने से इंकार कर दिया है। उन्होंने आतंकवादियों के मकसद के पूरा होने को एक नए एंगल से देखा है। बताने की ज़रूरत नहीं कि टीवीआई, आजतक, ज़ी न्यूज़, इंडिया टीवी जैसे चैनलों में मंज चुके अतुल जी की बात में दम है। वहीं युवा प्रोड्यूसर धीरज जी ने जनांदोलन भटकने की आशंका तो जताई है, लेकिन उन्हें इस पर भी शक है कि भविष्य का नेतृत्व भी ईमानदार रहेगा। सत्ता और सरकार पर नाराज़गी तो अरुण जी ने भी जताई है, लेकिन वो भी जनता की प्रतिक्रिया को तात्कालिक ही मानते हैं। आजतक में कार्यरत नीरज जी ने अपनों से बढ़ती दूरी का दर्द बयां करते हुए दोस्तों की महफिल जमने की उम्मीद जताकर दिल में नया जोश जगाया है। हां, कला और विज्ञान दोनों में एक जैसी पकड़ रखने वाले शंभुनाथ जी का ख़ासतौर पर शुक्रिया..शंभु जी को जो नहीं जानते, उन्हें ये बता दूं कि ये हिंदी के शायद इकलौते पत्रकार हैं, जिनके चंद्रयान पर किए गए स्पेशल शो की सीधे इसरो ने तारीफ की है और टेप भी मंगाए हैं और वो कवि भी हैं। उन्होंने अभी भी पत्रकार बिरादरी की संवेदना बरकरार रहने का भरोसा दिलाया है। जेएनयू की विशिष्ट राजनीति और शिक्षा से निकलकर मीडिया में हाथ आजमा रहे निखिल भाई का भी उत्साह बढ़ाने के लिए शुक्रिया...अनिल दीक्षित जी ने वक्त की कमी की वजह से अभी छोटा संदेश भेजा है, बाद में कुछ ख़ास टिप्पणी का वादा किया है। मेरी कोशिश यही रहेगी कि आपकी उम्मीदों पर खरा उतरूं और उम्मीद यही कि आपकी ओर से भी मेरा मनोबल बढ़ाने की कोशिश जारी रहेगी
आपका
परम

1 comment:

KRISHRAMJI said...

बहुत बढ़िया शुरुआत है, आगाज़ है बेहतरीन, अंजाम रहती दुनिया तक ना हो , इसी ख्वाहिश के साथ बहुत बहुत बधाई........अनिल दीक्षित