जब तक न देख लूं उन्हें, होती नहीं सुबह
जब तक न झटके जुल्फ वो, होती नहीं है शाम
जब तक न मुस्कुराए वो, खिलते नहीं हैं फूल
इतना हसीं है वो कि मैं, एक पल न पाऊं भूल...
जब वक्त की गर्दिश में, टूट कर मैं बिखर जाऊं
हालात की मझधार में, फंस कर के मैं रह जाऊं
है आरजू मेरी कि उन्हें आस-पास पाऊं
उनकी तलाश में ही कभी इस जान से जाऊं..
गर उन तलक पहुंचे बला तो,ढाल बन जाऊं
वो खुश रहें, महफूज रहें यही गीत मैं गाऊं
हर रीत तोड़कर कोई नई प्रीत बन जाऊं
खुशनसीब हूंगा...गर उनके लिए इक दिन मैं गुज़र जाऊं
परम
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