Monday, December 22, 2008

..बदनाम का बड़ा नाम!

लावारिस का एक गाना बहुत हिट हुआ था..जो है नाम वाला, वही तो बदनाम है..अब ज़रा न्यूज़वीक की उस लिस्ट की चर्चा, जिसमें ओबामा भी हैं और ओसामा भी..दुनिया को शांति का संदेश देने वाले पोप बेनेडिक्ट हैं तो उत्तरी कोरिया के तानाशाह माने जाने वाले किम जोंग भी.. पाकिस्तान को ललकार रही यूपीए सरकार की धुरी सोनिया गांधी हैं तो आतंकवाद को शह देने वाली पाकिस्तानी सेना के प्रमुख जनरल कियानी भी..तिब्बती धर्म गुरू दलाई लामा हैं तो उनके धुर विरोधी चीनी प्रमुख हू जिंताओ भी..हां, कुछ दिन बाद अगर ये लिस्ट आती तो उसमें शायद अंतुले भी होते..अंतुले का कहना है कि वो सिर्फ अल्लाह से डरते हैं..वैसे दो दिन पहले ये भी कह रहे थे कि वो कांग्रेस के सच्चे सिपाही हैं..शायद अल्लाह के अलावा आलाकमान से भी डर रहे थे..अब दिग्विजय सिंह जैसे कांग्रेसी साथियों का साथ मिला तो कार्रवाई का डर कम हो गया..अंतुले अड़े हैं..कुछ गलत नहीं कहा..अब और लोग भी पीठ थपथपा रहे हैं कि भाई सच में क्या गलत कहा? संसद पर हमले के दोषी अफजल को फांसी क्यों नहीं दी गई, अंतुले को इसकी फिक्र नहीं..आज ही के दिन यानी 22 दिसंबर 2000 को लालकिला पर हमला करने वाले अशफाक को निचली अदालत और फिर हाई कोर्ट ने फांसी की सज़ा सुनाई थी, उसका मामला सुप्रीम कोर्ट में अबतक लटका है, कब निपटेगा, नहीं पता..लेकिन किसी को इसकी भी फिक्र नहीं..फिक्र है तो मालेगांव धमाके की..जिसे वो शहीद हेमंत करकरे की मौत पर सियासत के बहाने ज़िंदा रखना चाहते हैं। वजह सियासी हो या मज़हबी, अंतुले को फायदे की उम्मीद है। कांग्रेस अंतुले पर कार्रवाई से पहले ये तौलना चाहती है कि फायदा अंतुले के सहारे एक वोट बैंक को लुभाने में है या फिर आतंकवाद के खिलाफ एकजुटता के नाम पर अंतुले को हटाने में..जो भी हो, अंतुले का कभी इतना नाम तो न हुआ था, जो अब बदनाम होकर हो रहा है। जिस संसद में उनकी आवाज़ बमुश्किल सुनाई देती थी, वहां अब उन्हीं का नाम जपा जा रहा है। तो वाकई काबिले तारीफ़ हैं वो गीतकार, जिन्होंने लिखा था..जो है नाम वाला..वही तो बदनाम है..तभी तो आज भी हिट है वो गाना।
आपका
परम

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